शेर नहीं है तो क्या हुआ उसकी खाल और मुछ के बाल तो है ......!
लेख - रामकिशोर पंवार ''रोंढ़ावाला ''
सतपुड़ा के घने जंगल ऊँघते अनमने जंगल , इन वनो के खूब भीतर चा मुर्गे चार तीतर .....! उक्त कविता सतपुड़ाचंल के जंगलो की महिमा को मंडित करती थी लेकिन अब उक्त कविता इन जंगलो के लिए मजाक साबित होगी क्योकि इन जंगलो के भीतर अब तो चार मुर्गे और चार तीतर का मिल जाना ही एक बहँुत बड़ी चमत्कारिक घटना होगी. दिन प्रतिदिन घटते और कटते जा रहे जंगलो और मरते जा रहे जंगली जानवरो के चलते सतपुडा़चंल के हाल के बेहाल हो गए है. बैतूल के जंगलो के शेरो का शिकार करने के लिए देशी - विदेशी शिकार आया करते थे. शिकारियो के लगातार शिकार के चलते अब बैतूल के जंगलो में शेर को ढुंढने के चक्कर में कहीं आप ढेर न हो जाये तो कहना....! . जिले के घटते जंगल और काक्रिंट के बढ़ते जंगलो के चलते अब शेर जंगलो में नहीं बल्कि बैतूल के सम्पन्न घरानो की शान और पहचान बन गये है. बैतूल के जंगलो में यदि शेर न मिले तो कोई बात नहीं आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं अपने ही शहर के नवल जयसवाल का घर का पता पुछते उनके घर चले जाना आपको शेर की खाल मिल जायेगी. अब रही बात शेर की मुछो के बालो की बात तो अब आपको क्या बताये शेर की मुछ के बाल तो है भी ऐसे आदमी के पास जिसकी अपनी ही मुछ के बाल नहीं है...? आप से इसे मजाक में मत लीजिए हम तो वहीं बकते और लिखते है जो कि जिला प्रशासन का रिकार्ड कहता है. सतपुड़ाचंल के जंगलो में वन्यप्राणियो का बेरहमी से हो रहे शिकार और उनके बाल और खाल का अंतराष्टï्रीय बाजार में काले व्यापार के कारण सतपुड़ांचल के दिन - प्रतिदिन बिरले होते जा रहे जंगलो में राज करने वाला शेर आज अपने इलाके में सुरक्षित नहीं है . सम्पन्न घरो के डाइंग रूम की शोभा बनते जा रहे वन्यप्राणियों की खाल और बाल ने उन्हे आज कहीं का नहीं छोड़ा है .हाल ही में प्रदेश की भाजपा सरकार ने अपने सबंधित विभाग से प्रदेश के जंगलो में वन्यप्राणियो की गणना तो करवा ली पर वह इन पंक्तियो के लिखे जाने तक उनकी मौजूदगी को सही ढंग से प्रमाणित नहीं करवा सकी है.
कभी जंगल में राज करने वाले जंगल के राजे के वो बाजे बजे है कि उसे अपनी नानी याद आ गई होगी . मौजूदा परिस्थिति में तथाकथित जंगल का राजा शेर आज अपने इलाके में सुरक्षित नहीं है . सम्पन्न लोगो के डाइंग रूम की शोभा बनते जा रही शेर के खाल और उसके बाल तथा नाखुन ने उसे आज कहीं का नहीं छोड़ा है . अकेले मध्यप्रदेश में बीते बारह सालों में शेर के शिकार की सैकड़ो घटनाये घट जाने के बाद भी शेर की जान - माल की कागजी सुरक्षा में लगा टाइगर सेल ही शक के दायरे में आ गया है . मध्यप्रदेश की पूर्व दिग्गी राजा की सरकार के कार्यकाल में जंगल के राजा शेर के शिकार की कई ऐसी घटनाये इस तथ्य को बयाँ करती है कि राज्य में जंगल का राजा अपने आप को शिकारियों से ज्यादा उसके रखवालों से ही असुरक्षित समझ रहा है . इसी तरह पुरे हिन्दुस्तान की हालत भी कम चिंताजनक नहीं है. हमारे देश में शेरो के शिकार की बढ़ती वारदातों के चलते प्रकृति पर दूषित पर्यावरण की मार और जंगल माफियाओं के राज के चलते जहां एक ओर धीरे-धीरे भारत भू-खण्ड में जंगलो का प्रतिशत घटता जा रहा है वहीं पेड़-पौधों के कम होने से उनके बीच निवास करने वाले वन्य जीव-जंतुओं की संख्या में भी भारी कमी आने लगी है. जंगली शेर, हाथी, गैंडा, तेंदुए तो अब कागजी किस्से कहानियाँ की शक्ल लेने लगे है. भारत ही नहीं अपितु सारी दुनिया में इनकी आबादी लगातार घट रही है. बैतूूूल जिला वन्य प्राणी संरक्षण समिति के संयोजक कहते है कि हर जगह जंगली जानवरो के प्राकृतिक आवास माने जाने वाले वनो के दिन प्रतिदिन कटने से इनमें असुरक्षा की भावना जागी है. असुरक्षित जंगली जानवर हिसंक होते जा रहे है. जंगलों के सिकुडऩे के साथ-साथ तेंदुओं एवं शेरों का सामान्य भोजन पहाड़ी बकरियां, जंगली सूअर और जंगली उल्लू भी खत्म हो रहे है. इसलिए इनके पास खाने को कुछ नहीं है और उन्होंने अपना मुंह जंगल से शहर एवं गांवों की ओर कर दिया है. इसी का परिणाम है कि यह जानवर आज नरभक्षी हो चले है. आज के दौर में जंगल माफियाओं और शिकारियों के बढ़ते आतंक से जहां शेर और बाघ सहित अन्य जंगली जानवर तेजी से लुप्त होते रहे है.विश्व के जंगल के राजा के नाम से विख्यात 'दि रॉयल टाइगर'' अब एक भीगी बिल्ली की तरह हो गया है. अब जंगल के इस बेताज बादशाह को अपनी जान के लाले पड़े है. मध्यप्रदेश के सतुपड़ा घने जंगलों में जंगल माफिया ने अपनी पैसे कमाने की भूख के लिए शेर, बाघ बल्कि हिरण, चीतल, नीलगाय और मोर तक को नहीं बख्शा है. वन्य प्राणियो के इन खूनी सौदागरों ने इनके माँस ,चमड़ी, हड्डिïयों, नाखून सहित शरीर के कई अंगों का लम्बा चौड़ा कालाबाजार फैला रखा है .इस गैरकानूनी बाजार की नाक में नकेलडालने की आज किसी में हिम्मत नहीं है क्योकि इस बाजार में दुकान लगाने वालों को अफसरशाही देश की भ्रष्टïराजनीति ने संरक्षण दे रखा है. आज इन लोगो के दम पर वन्य जीवो के बाल और खाल का कारोबार अब अन्तरराष्टï्रीय स्तर पर फैल चुका है .
टास्क फोर्स के अनुसार संसार में शेरो की आबादी घटकर 3,000 के लगभग रह गई है, जिनमे से तीन उप-प्रजातियां तो बिल्कुल लुप्त हो चुकी है और साइबेरियन शेर उनमे से है जिन पर सबसे अधिक खतरा मंडरा रहा है. शेरो के शिकार लोगो की काम कुंठा भी कुछ हद तक जवाबदेह है. संभोग क्रिया को बढ़ाने के चक्कर और खोई हुई ताकत को पाने के चक्कर में शेर ढेर होते चले जा रहे है. अपनी जवानी के लिए दुसरे का जीवन ही दांव पर लगाने वाले इंसान ने उस शेर को भिगी बिल्ली बना दिया है जिसकी दहाड़ से उसकी पेंट गिली और पिली हो जाया करती थी. दरअसल शेर के शिकारियों की नज़र अब इंसान की खोई मर्दागनी के चक्कर में गैंडो और भालुओं की को भी नहीं छोड़ रही है. आजकल मेड इन चायना के चक्कर में चायनीज रतिवद्र्धक दवाएं भी कहीं न कहीं इन्ही जानवरो को मार कर ही बनवाई जाती है. हालाकि चीन में बीते कई जमाने से रतिवद्र्धक दवाईयां बनाई जाती रही है.
एक सर्वेक्षण के अनुसार इस समय केवल 300 साइबेरियन शेर धरती पर विद्यमान है, जबकि हाल में किए गए एक अध्ययन में यह संख्या 425 और 475 के बीच बताई गई है. संरक्षको की दृष्टिï में यदि इनमे से सबसे ऊंची संख्या भी सही है तब भी चिंता बहुत बड़ी है और इनकी रक्षा के लिए बहुत भरोसेमंद और मजबूत उपायों की आवश्यकता है. अगर समय रहते जंगल के राजा शेर के संरक्षण की दिशा में ठोस पहल नही की गई तो ये भी डायनासोर की भांति पृथ्वी से लुप्त हो जाएंगे और हमें भविष्य में इनके जीवाश्मों से काम चलाना पड़ेगा आज भले ही सतपुड़ाचंल के जंगलो मेेंं नीचे दिये गए वन्यप्राणियो के पंजे के निशान तक नही मिलेगें पर अकेले बैतूल जिले में इन पंक्तियो के लिखे जाने तक 37 आदमियो के घरो में जिनके नाम इस प्रकार है उन लोगो के घरो के ड्राइंग रूमो में सौ से भी अधिक निम्रांिकत मृत जंगली जानवरों के शरीर के अंगो की उपस्थिति शोभामान है. इन सभी का बकायदा पंजीयन हुआ है. उक्त सभी जंगली जानवरो के अंग तो नम्बर वन में है लेकिन नम्बर दो जो है उके लिए आपके पास कलेजा चाहिये क्योकि कहीं ऐसा न हो कि देखने जाये और कुछ आपके साथ हो जाये कुछ .......
क्र. नाम स्थान वन्यप्राणी का प्रकार व संख्या
1. नवल जैसवाल बैतूल शेर की खाल -1
2. प्रमोद दीक्षित बैतूल चीते का सिर-1, सांभर सींग-2
3. शिवकिशोर मेहतो शाहपुर तेंदुआ की खाल-1, हिरण सिर-2
4. रमेश मेहतो शाहपुर काले हिरण की खाल -4
5. अमित मेहतो शाहपुर हिरण सिंग सहित-3
6. सुंदरलाल हिंगवे बैतूल जंगली भैंसा-2, चिंकारा-2,
सांभर-2, हिरण-2
7. महेशचंद्र शर्मा बैतूल तेंदुआ चमड़ा-1, चौसिंघा-1,
चीतलसींग-1, सांभर-1
8. सुरेशचंद्र शर्मा बैतूल चिंकारा सींग-1, चीतल चमड़ा-1
9. यशपाल मालवीय बैतूल सांभर सींग-4
1० श्यामराव तहकीत बैतूल चीतल-1
11 राजेन्द्र कुमार लव्हाटे बैतूल सांभर सींग-3
12 रामकुमार वर्मा बैतूल सांभर सींग-1
13 अरूण कुमार वर्मा बैतूल सांभर-3
14 प्रहलाद सोनी बैतूल सांभर-1
15 नारायण साबले बैतूल हिरण-1
16 मनीष नागले बैतूल सांभर सींग-1
17 कृष्णकांत वमार् बैतूल सांभर सींग-1
18 मो. करीम खान बैतूल सांभर सींग-1
19 विलास जोशी बैतूल सांभर सींग-5, हिरण सींग
2० सुश्री उषा द्विवेदी बैतूल सांभर सींग-9,सांभर चमड़ा-7
21 रामप्रसाद कटारे बैतूल सांभर सींग-5
22 पुष्पराज यदु बैतूल सांभर सींग-3
23 आशीष यदु बैतूल सांभर सींग-3
24 अब्दुल कदीर बैतूल सांभर सींग-1
25 अब्दुल अमीन बैतूल चीतल सींग-3
26 सीआर चढ़ोकार बैतूल सांभर सींग-1
27 हेमंत पात्रीकर बैतूल हिरण खाल-1
28 परमजीत सलूजा बैतूल सांभर सींग-1
29 संतोष खासकलम बैतूल सांभर सींग-1
3० सुजाद हुसैन रिजवी बैतूल सांभर सींग-1
31 नगेन्द्रसिंह ठाकुर बैतूल सांभर सींग-2
32 सुलाउद्ïदीन खान बैतूल सांभर सींग-2
33 आरएम दुबे बैतूल बाजार सांभर सींग-2
34 प्रवीण भावसार बैतूल सांभर सींग-1
35 मुश्ताक अहमद बैतूल सांभर सींग-2
36 अनिल वर्मा बैतूल सांभर सींग-1
37 कौशिक डागा बैतूल सांभर सींग-3
इति,
No comments:
Post a Comment